हो सकता है कि देश के पास इस सवाल का जवाब नहीं हो कि महिला सांसदों की संख्या अब भी कम क्यों है, लेकिन चुनाव नतीजों में एक बात साफ तौर पर सामने आई है कि जीत हासिल करने की संभावना के मामले में महिलाओं ने पुरुषों को पीछे छोड़ दिया है।
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